26th Jun 2023
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटा सा गांव था। उस गांव में एक छोटा सा बाघ रहता था। वह बाघ बहुत ही मस्तिष्कशील और प्रफुल्लित मनोरंजन का मालिक था। गांव के बच्चे बगीचे में खेलते और बाघ के साथ अद्भुत किस्से सुनते थे। उनके मनोरंजन का केंद्र वहीं था।
एक दिन, गांव के बच्चे बगीचे में खेल रहे थे और बाघ कहानी सुना रहा था। तभी एक छोटी सी मेंढ़क दौड़ते हुए वहां पहुंची। मेंढ़क बच्चों से बहुत घबराई हुई लग रही थी। बाघ ने उसे पकड़ा और पूछा, 'अरे मेंढ़क, तुम क्यों घबरा रही हो? बताओ मुझे तुम्हारी परेशानी का कारण।'
मेंढ़क ने रोते हुए कहा, 'ओह बाघ, मुझे अपने गाँव में रास्ता नहीं मिल रहा है। मैं अपने माता-पिता तक कैसे पहुंचूँगी? मुझे घर वापस जाना है।'
बाघ ने मेंढ़क को मुस्कराते हुए कहा, 'चिंता मत करो, मेंढ़क! मैं तुम्हारी मदद करूंगा। तुम मेरे पीठ पर बैठो और मैं तुम्हें तक पहुंचा दूंगा।'
मेंढ़क ने खुशी के साथ बाघ की पीठ पर बैठ ली। बाघ ने धीरे-धीरे दौड़ना शुरू किया। वह जंगल के रास्ते में आगे बढ़ता गया और अंत में मेंढ़क को उसके गांव तक पहुंचा दिया। मेंढ़क खुशी से उत्साहित हो गई और बाघ का धन्यवाद करने के लिए उसे गले लगा लिया।